अपने दो बेटों ऋषि कपूर और रणधीर कपूर (दाएं) के साथ राज कपूर
राहुल रवैल बताते हैं, "मैंने 12वीं कक्षा के बोर्ड के इम्तेहान दिए ही थे कि एक दिन मेरे बचपन के दोस्त ऋषि कपूर का फ़ोन आया कि डैड आज से 'मेरा नाम जोकर' के सर्कस के दृष्यों की शूटिंग शुरू कर रहे हैं. ये शूटिंग आज़ाद मैदान में होनी है. अगर तुम कुछ कम कपड़े पहने सेक्सी रूसी कलाकारों को देखना चाहते हो, तो वहाँ पहुंच जाओ."
"मैं तुरंत वहाँ पहुंच गया. शुरू में उन रूसी लड़कियों ने मुझे आकर्षित ज़रूर किया, लेकिन जब मैंने राज अंकल को नज़दीक से काम करते देखा तो मैं सब कुछ भूल गया. उन्हें काम करते देख मैं पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गया. उनको देख कर ऐसा लगा कि जैसे कोई संगीतकार बिना म्यूज़िक शीट के किसी सिंफ़्नी का संचालन कर रहा हो."
रमन नाम के एक साहब राज कपूर की फ़िल्मों के लिए तमिलनाडु में वितरक हुआ करते थे. जब उनका देहांत हो गया तो उनके बेटे बाबू ने उनका काम संभाल लिया.
जब 'बॉबी' हिट हो गई और उससे मिलने वाले लाभ के पैसों को बाबू ने राज कपूर के पास नहीं पहुंचाया तो वो नाराज़ हो गए. एक रात जब राज कपूर अपने घर लौट रहे थे, उन्होंने अचानक अपने ड्राइवर से कहा कि गाड़ी घुमाओ और रमन साहब के घर चलो.
राहुल रवेल बताते हैं, "राज साहब अपनी कार से उतरे और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे 'बाबू, बाबू.' बाबू दौड़ते हुए बाहर आए. शोर सुनकर उनके सारे पड़ोसी भी ये ड्रामा देखने के लिए अपने घर से बाहर निकल आए. बाबू उस समय सिर्फ़ दक्षिण भारतीय लुंगी '
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